Sunday, May 5, 2013

asmanjas

आज करीब एक साल बाद... घर की तरफ जाते हुए, इस हवाईजाहज में बैठे हुए खिड़की से बहार उडते हुए बादलो को देखते हुए, कुछ लिखने का मन हुआ, पर क्या ये पता नही........

कुछ लिखने का मन है
क्या, पता नहीं....
क्यों, ये भी नहीं पता....

पर है, कुछ लिखने का मन है

दिमाग को कुरेदकर
सोच को उमेड़कर
इस कागज़ पर
कुछ उलेड़ने का जतन है...

कुछ लिखने का मन है

आँखें मूंदता हूँ तो भी
कुछ ख्याल नहीं आता
कोई पहेली, कोई उलझन
या, कोई सवाल भी नहीं आता

फिर भी कुछ भारीपन है
शायद इसलिए
कुछ लिखने का मन है

क्या लिखूं,
और कौन पढ़ेगा, जो लिखूं
सबका अपना आइना है
मैं किसीको कैसे दिखूं

फिर भी सामने आने की लगन है
शायद इसलिए
कुछ लिखने का मन है

बादलों के ऊपर उड़ कर भी
हवा से बातें कर के भी
समुद्र की गहराई को
छूने का मन है

आज कुछ लिखने का मन है।



    

Monday, December 10, 2012

Irony

I open my eyes and see
people things and tree
Can see them all, BUT not me
So, how would I know, my Identity

I have to see "them"
to know who "I" am

does avaialbility define my need
my desire, my limits and my greed
..."their" reaction
justify "my" action

Strange! when 'us' is made of lots of 'me'
who is then 'you', 'I' and 'we'

is this life's irony
or is it this the way it was supposed to be

Wednesday, July 25, 2012

am I the only ONE...

I am tired and done...
But,
Am I the only one

Around the world there are celebrations..
there's a peppy number on every music station..
And all this while, I am standing on the border,
holding a gun

But,
Am I the only one

Somebody boarded a train, off to beaches for surfing
somebody just came back, from a golf game or fishing
And all this while, I was trying to make my ends meet
working, toiling hard in the sun

But,
Am I the only one

people get married and enjoy
or have a break up and cry
fall again in relation that would not break, they try
And all this while, I stand with my hands folded in service
and head bowed as a nun

But,
Am I the only one

I am a soldier,
I am a labour,
I am a nun
As I live my life, I never have what you call as 'fun'
But all this while, I lay myself
to make other's life...a better one

Yes, I may be tired and done
But, I am glad
that I am the one!

Saturday, April 14, 2012

aaj bin mausam barsaat hui


आज बिन मौसम बरसात हुई
कुछ बूंदों की सौगात हुई
धुल से गए मायूसी से ढके चेहरे
जब दुःख की भेंट...एक मुस्कराहट के साथ हुई...
आज बिन मौसम बरसात हुई

रिमझिम का संगीत था, नहीं सूरज की बात हुई
परेशानियों  से झुलसे बदन भीग गए ऐसे
जब ख़ुशी की फुहार संग मुलाकात हुई
आज बिन मौसम बरसात हुई


एक सौंधी सी खुशबू से सुबह की शुरुआत हुई
छप-छपाते...गुनगुनाते गुजरा ये दिन
और उसी सौंधी खुशबू के संग रात हुई
आज बिन मौसम बरसात हुई

Sunday, December 18, 2011

sach hai duniya walo ki hum hai "anaadi"


लिखता  हूँ...फिर  मिटाता हूँ 
खुद  को यूँ  मैं  सताता  हूँ
हर  पल  एक  नए  ख्वाब  को  पलकों  पे  बसाकर 
हकीकत  से  मुंह  छुपाता  हूँ

धुंधली  सी ये  जिंदगी  की  राहें
बिन  सोचे  चलता  जाता  हूँ
हर  मोड़  पे  रुकना  मेरी  फितरत  नहीं 
राहों के  संग  मुड  जाता  हूँ 

हौसला  नहीं  शायद  रूबरू  होने  का  अँधेरे  से 
रातो  को ..आंखें  मूँद  के  सो  जाता  हूँ 
फिर  ख्वाब  आते  तो  है  नींद  मै 
पर  सुबह  होते  ही  सब  भूल  जाता  हूँ 

नासमझी  है  या  अल्हड़पन  मेरा 
हर  दिन  को ....उसी  दिन  जी  जाता  हूँ 
कल  क्या  हुआ  था  याद  नहीं ...कल  क्या  होगा  पता  नहीं 
इतना  हिसाब  कहाँ  रख  पाता  हूँ 

अपनी  इन्ही  हरकतों  पर ..कभी  खुश  होता  हूँ 
कभी  आंसू  भी  बहाता  हूँ 
शायद  इसलिए  दुनिया  के  "समझदारो" के  बीच 
मै  "अनाड़ी" कहलाता  हूँ 

Thursday, November 10, 2011

Mango :)

One of my colleague has to write a poem for her daughter as a part of her holiday home work...I helped her with these poem on - 

फलो का राजा आम


फलो की टोकरी...टोकरी मे रखे फल तमाम
सब फलो के बीच दिखा...पीला गठीला मतवाला आम

कभी लंगड़ा है, कभी दशेहरी और सफेदा कभी
कभी अल्फोन्सो है, कभी तोतापरी....तारीफ़ के काबिल सभी

सोचा...चख के देखू  तो आज
की क्यों है इसके सर पे फलो के राज का ताज


इसमें ऐसा क्या राज है?
क्यों सभी फलो को इसपे नाज है?


और फिर भी ये इतना आम है
ये कैसा विचित्र इसका नाम है


मीठे रसीले फल में...आज के स्वाद का वादा
बड़ी सी एक गुठली मे..कल के जीवन का इरादा

शायद यही एक बेहतर आज के साथ चलती उज्जवल कल की आस है
जो बनाती इस "आम" को फलो मे "ख़ास" है

एक सुंदर भविष्य की कामना के साथ जीयें अगर हम एक मजबूत आज
तो हर "आम" इंसान होगा "ख़ास" और हर नागरिक करेगा अपने जीवन पे राज !!


PS: I got a dairy milk crackles for this :)

Tuesday, October 4, 2011

human being

i am not much of a smoker,
but i do smoke
i am not much of a drinker,
but i do drink

i am no longer a virgin,
but i am no whore
i still respire and aspire,
to live more

i see the world through my eyes
from the shallow rivers...to the skies

there's something everywhere,
if not...there's air
but, still in my eyes
an emptiness' there

i dont want the eternity,
nor i want to be alone
i wanna be no urchin
nor i awe the king's throne

am an ordinary person
living an ordinary life
having no grandeur or spice
with harmony in hearts and no strife

searching for a li'l love...peace
and no other thing
being a human
i wanna be a human being