Sunday, December 18, 2011

sach hai duniya walo ki hum hai "anaadi"


लिखता  हूँ...फिर  मिटाता हूँ 
खुद  को यूँ  मैं  सताता  हूँ
हर  पल  एक  नए  ख्वाब  को  पलकों  पे  बसाकर 
हकीकत  से  मुंह  छुपाता  हूँ

धुंधली  सी ये  जिंदगी  की  राहें
बिन  सोचे  चलता  जाता  हूँ
हर  मोड़  पे  रुकना  मेरी  फितरत  नहीं 
राहों के  संग  मुड  जाता  हूँ 

हौसला  नहीं  शायद  रूबरू  होने  का  अँधेरे  से 
रातो  को ..आंखें  मूँद  के  सो  जाता  हूँ 
फिर  ख्वाब  आते  तो  है  नींद  मै 
पर  सुबह  होते  ही  सब  भूल  जाता  हूँ 

नासमझी  है  या  अल्हड़पन  मेरा 
हर  दिन  को ....उसी  दिन  जी  जाता  हूँ 
कल  क्या  हुआ  था  याद  नहीं ...कल  क्या  होगा  पता  नहीं 
इतना  हिसाब  कहाँ  रख  पाता  हूँ 

अपनी  इन्ही  हरकतों  पर ..कभी  खुश  होता  हूँ 
कभी  आंसू  भी  बहाता  हूँ 
शायद  इसलिए  दुनिया  के  "समझदारो" के  बीच 
मै  "अनाड़ी" कहलाता  हूँ 

Thursday, November 10, 2011

Mango :)

One of my colleague has to write a poem for her daughter as a part of her holiday home work...I helped her with these poem on - 

फलो का राजा आम


फलो की टोकरी...टोकरी मे रखे फल तमाम
सब फलो के बीच दिखा...पीला गठीला मतवाला आम

कभी लंगड़ा है, कभी दशेहरी और सफेदा कभी
कभी अल्फोन्सो है, कभी तोतापरी....तारीफ़ के काबिल सभी

सोचा...चख के देखू  तो आज
की क्यों है इसके सर पे फलो के राज का ताज


इसमें ऐसा क्या राज है?
क्यों सभी फलो को इसपे नाज है?


और फिर भी ये इतना आम है
ये कैसा विचित्र इसका नाम है


मीठे रसीले फल में...आज के स्वाद का वादा
बड़ी सी एक गुठली मे..कल के जीवन का इरादा

शायद यही एक बेहतर आज के साथ चलती उज्जवल कल की आस है
जो बनाती इस "आम" को फलो मे "ख़ास" है

एक सुंदर भविष्य की कामना के साथ जीयें अगर हम एक मजबूत आज
तो हर "आम" इंसान होगा "ख़ास" और हर नागरिक करेगा अपने जीवन पे राज !!


PS: I got a dairy milk crackles for this :)

Tuesday, October 4, 2011

human being

i am not much of a smoker,
but i do smoke
i am not much of a drinker,
but i do drink

i am no longer a virgin,
but i am no whore
i still respire and aspire,
to live more

i see the world through my eyes
from the shallow rivers...to the skies

there's something everywhere,
if not...there's air
but, still in my eyes
an emptiness' there

i dont want the eternity,
nor i want to be alone
i wanna be no urchin
nor i awe the king's throne

am an ordinary person
living an ordinary life
having no grandeur or spice
with harmony in hearts and no strife

searching for a li'l love...peace
and no other thing
being a human
i wanna be a human being

Saturday, August 6, 2011

व्योम

जिंदगी की इन चार दीवारों के परे
है एक खुला मैदान...
दिन रात के इस पहलु से दूर
है एक खुला आसमान...
मुझे वही जाना है.

बैर, द्वेष, ग्लानी या गम
इन सब से परे है एक करम...
पाप- पुण्य, जनम और मरण
इनके ऊपर है एक धरम ...
मुझे वही  अपनाना है.
 
 ये मोह-माया, कोई अपना कोई पराया
इन सब छलावो से दूर..
यह धूप, यह छाया; क्या रूह, क्या काया
इन सब बाह्य दिखावो से दूर...
मुझे मुक्ति को पाना है

"हम" से बाँटते हर "मैं" को छोड़
 हर "अहम्" को "हम" बनाना है

मुझे उस "व्योम" को पाना है!!!