ये होली लगी कुछ फीकी
लाल, हरा, गुलाबी, पीला
सतरंगी रंगों से था हर कोना रंगीला
इन सब रंगों के बीच भी
था किसी एक रंग की तलाश में
मैं था किसी क संग की आस में
ये होली लगी कुछ फीकी
दोस्त थे यार थे, सभी नाते रिश्तेदार थे
इस होली की बारिश में, हर तरह के फ़व्वार थे
फिर भी मैं था प्यासा
था किसी और ही ढंग की प्यास में
मैं था किसी के संग की आस में
ये होली लगी कुछ फीकी
होली का हुडदंग था, थे ढोल और नगाड़े
मस्ती की टोलियों में झूम रहे थे सारे
इस उत्साह में भी, मैं था हताश
था किसी और ही उमंग की तलाश मेंमैं था किसी के संग की आस में
ये होली लगी कुछ फीकी
रंग लगा है अब भी इन हाथो मैं, जिन में थामी है कलम
सोचता हूँ कौन है वो "किसी", या फिर है ये कोई भरम
हूँ एक पशोपेश मेंसोचता हूँ कौन है वो "किसी", या फिर है ये कोई भरम
हूँ एक मनघडंत विश्वास में.....
पर फिर भी
मैं हूँ किसी के संग की आस में
ये होली वाकई लगी कुछ फीकी