Sunday, June 6, 2010

बस, एक हौंसला है!!

दूर मंजिल है, राह लम्बी है
कोइ जरिया नहीं
बस, एक हौंसला है!!

कदम कदम पर भटक जाता हूँ
जतन करता हूँ, फिर लौट आता हूँ
नए मौड़ से शुरू करता हु फिर ये सफ़र ....जिसका
कोइ जरिया नहीं

बस, एक हौंसला है!!

धीरे धीरे चलता हूँ, सूरज संग जलता हूँ
शाम होती है ठहरता हूँ
सुबह फिर निकलता हूँ
कोइ जरिया नहीं

बस, एक हौंसला है!!

समय की गति तेज़ है, धीमी गति है मेरी
यु ही चलता रहा तो, कही हो न जाये देरी
यही सोच घबराता हूँ
पर फिर थोडा आगे निकल जाता हूँ
उस सफ़र पर जिसका
कोइ जरिया नहीं

बस, एक हौंसला है!!

आज...
बहुत थक गया हूँ
पीछे मुड़ देख रहा हूँ...
की कहा था मैं और कहा हूँ मैं
पर पाया
की जहां था मैं, वही हूँ मैं

ये तो एक कतरा मात्र है...
उस राह का जिसका
कोइ जरिया नहीं

बस, एक हौंसला है!!

एक दिन वो घडी भी आयेगी
ये राह ख़त्म हो जाएगी
मंजिल मेरे सामने होगी, मेरा हाथ थामने होगी

बस यही ख्वाब देखने को,
कुछ देर रुका हूँ
कल फिर चल दूंगा
उसी सफ़र पर जिसका
कोइ जरिया नहीं

बस, एक हौंसला है!!